Principal Message

श्री सिंह मनोजकुमार अलगुसिंह

माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक

माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक

शिक्षकों के नाम संदेश :- सामान्य रूप से देखा जाय तो शिक्षक का कार्य योगी के समान है, और वह राष्ट्र का निर्माता है , परन्तु वह स्वयं योगी नहीं बन सकता| योगी अपने शिष्यो को साधना के द्वारा आत्म-साक्षातकार करता है| शिक्षक को भी उसी की भांति शिक्षा के संस्कारो के द्वारा शिष्य का इतना उत्थान करना चाहिए की वह  

आत्म-साक्षातकार करने में सक्षम हो सकें| उसे इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि , उसका शिष्य अनेक योनियों से भटक कर मानव जन्म को प्राप्त कर सका है |

      जिससे वह शिक्षा को प्राप्त कर वह अपने जीवन का उद्धार कर सके| शिक्षक को अपने शिष्य को चरित्रवान , कर्तव्यनिष्ठ, एंव दृढ़ इच्छा शक्ती वाला बनाने की प्रेरणा देनी चाहिए उसके चरित्र का ऐसा विकास होना चाहिए, जिससे वह भौतिक एवं आध्यात्मिक दोनों प्रकार की उन्नति कर सके| तभी यह कहा जा सकेगा कि शिक्षक ने अपने कर्त्तव्य का भली भांति पालन किया है|

 “जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना

अंधेरा धरा पर कही रह न जाए”|

 विद्यार्थियों के नाम :-

      विद्यार्थी अर्थात विद्या को ग्रहण करने वाला| अत: विद्यार्थी को विनयशील जिज्ञासु, कर्त्तव्य निष्ठ आदि गुणों का होना अत्यंत आवश्यक है| विद्यार्थी को अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सदा प्रयत्नशील रहना चाहिए| विद्यार्थी को अपने अभिभावक, शिक्षक और श्रेष्ठ लोगो के प्रति आदर की भावना रखना चाहिए| उसके अन्दर सर्वे भवन्तु सुखिन तथा  वसुधैवकुटूम्बकम की भावना होनी चाहिए सफल विद्यार्थी से ही सफल राष्ट्र का निर्माण हो सकता है| उसे समाज में फ़ैली कृरीतियों और बुराईयों के उन्मूलन के लिए सतत प्रयत्नशील होना चाहिए|

 अभिभावकों के नाम संदेश

       कल की तुलना में. विद्यार्थी आज ज्यादा सक्रीय और जिज्ञासु है| हमें वे उदण्ड दिखाई देते  है, क्योंकि वे हमारी बातों को ध्यान पूर्वक सुनते नहीं है| हम ज़रा अपने आप से पूछें हमारे पास सुनाने के लिए ‘सार्थक’ क्या है? कितना है? अत: आज का विद्यार्थी योग्यता, ज्ञान, समझ, एवं लक्ष्य के प्रति ज्यादा सजग है| आज उसे हम थोड़ी सी धीरता–दे दें तो शायद वह अपनी प्रतिभा को ऊँचाइयों तक पहुँचा सकता है| हमें आज के विद्यार्थी को नकारना नहीं है, बल्कि जितना संभव हो सके उसको प्रोत्साहित करना चाहिए, तथा उसके कार्यो का निरन्तर अवलोकन करते रहना चाहिए |