शैक्षिक पर्यटन:-
जिस दिन बच्चों को पढ़ना न पड़े और मौज-मस्ती, सैर-सपाटा करने का मौका मिले, उस दिन से अच्छा दिन और कौन-सा हो सकता है, बच्चों के लिए। पूरा का पूरा स्वतंत्रता-दिवस। किताबों से छुट्टी, दोस्तों के साथ मौज-मस्ती और धूमधड़ाका करने का मौका। बस, यही तो है बच्चों का स्वतंत्रता-दिवस।
भारतीय प्राच्य ग्रंथो में स्पष्ट रूप से मानव के विकास, सुख और शान्ति की संतुष्टि व ज्ञान के लिए पर्यटन को अति आवश्यक माना गया है |
पाश्चात्य विद्वान संत आगस्टिन ने तो यहाँ तक कह दिया कि “ बिना विश्व दर्शन ज्ञान ही अधुरा है |”
पंचतंत्र नामक भारतीय साहित्य दर्शन में कहा गया है |; “विधाक्तिम शिल्पं तावन्नाप्यनोती मानवः सम्यक यावद ब्रजती न भुमो देशादेशांतर: |”
शैक्षिक पर्यटन में यात्रा का मुख्य उद्देश्य होता है, दूसरी संस्कृति के बारे में जानना और सीखना (छात्र विनियम कार्यक्रम और अध्ययन यात्रा) या भिन्न वातावरण में कक्षा के अन्दर अपनी सीखी हुई चीजो पर काम करना और उन्हें लागू करना |
■ सर्जनात्मक विकास
■ समुहभावना का विकास
■ इतिहास का अभ्यास