शिक्षा सबके लिए अत्यावश्यक मानी गई है | हमारे चहुमुखी विकास के लिए भौतिकता एवं आध्यात्मिकता आवश्यक है| शिक्षा वर्तमान और भविष्य दोनों ही के लिए अद्वितीय विनियोग है |
प्रारम्भिक शिक्षा में दो पहलुओ पर बल :-
(क) युनिवर्सल एनरोलमेंट और १४ वर्ष तक की आयु तक के सभी बच्चो को रसप्रद तथा शौर्य की जानकारी देकर हमारे महापुरूषों के प्रेरणा से प्रेरित करना |
(ख) शिक्षा की गुणवत्ता में पर्याप्त सुधार लाना | शारीरिक दण्ड को शैक्षिक प्रणाली से मजबूती के साथ निकालना |
विज्ञान और गणित के अध्यापन को सर्वाधिक प्राथमिकता प्रदान करना |
स्पोर्ट्स और शारीरिक शिक्षा की सिखाने के प्रक्रिया का एक अभिन्न अंग माना गया है, अतं : इसपर विशेष ध्यान देना |
शिक्षा में लोगो का उदासीन द्रष्टिकोण :-
यह अत्यंत दु:ख का विषय है कि लोग शिक्षा के लिए उदासीन द्रष्टिकोण अपनाए हुए हैं | प्रत्येक व्यक्ति यह समझता है कि यह किसी अन्य व्यक्ति का उत्तरदायित्व है | इस द्रष्टिकोण को बदलने का हमने संकल्प लेकर ही नहीं बैठ गए , बल्कि इसे चरितार्थ कर दिखला दिया है |
समय का पालन :-
जीवन के सभी क्षेत्रों में समय का पालन महत्त्वपूर्ण होता है | विशेषकर विद्यार्थि जीवन में | लोगों का कहना है कि समय का पालन राजमुकुट है | किसी विद्यार्थि के चरित्र में यह सर्वोत्तम कीमती रत्न है | विद्यार्थि को समयनिष्ट होना चाहिए , ऐसी न केवल सीख हमने अपने विद्यार्थियों को दिया वरण उन्हें अपने आचरण में भी ढालने में भरपूर सहयोग किया |
समय किसी के लिए रूकता नहीं है | अंत: एक समयनिष्ट व्यक्ति समय का सही उपयोग जानता है, और यही चरित्रगत विशेषता हमारे समयनिष्ठ शिक्षक मंडल में पाई जाती है | हमारे समयनिष्ट शिक्षकों ने विद्यार्थियों को भली – भांति इसबात से अवगत करा दिया है , कि समय न केवल धन है बल्कि सौभाग्य भी है |
समाजसेवा :-
हम जानते हैं कि, समाज- सेवा मानव को मनुष्य बनाती है | इसके द्वारा पारस्परिक प्रेम के मूल्य की महत्ता का ज्ञान देकर समाजसेवा के क्षेत्र में योगदान देने का कार्य भी हमारे द्वारा विद्यार्थियों के सहयोग से किया जाता है |
समाजसेवा मनुष्य को उदार और सहिष्णु बनाती है | इससे मनुष्यों में प्रेम और सहानुभूति के गुणों का विकास होता है | इससे मनुष्यों के ह्दय के संकुचित विचारों का लोप होता है |
हमारे विद्यार्थियों ने अनेक अवसरों पर उत्कृष्ट समाज सेवा कर एक आदर्श उपस्थित किया है |
सन्देश :-
“विकसित करलो क्षमता ऐसी
हँस पड़े विश्व ये तुम्हें देख
हँसने जीने का अर्थ तभी
बन सको यदि इतिहास – लेख”
“दया , क्षमा , ममता मानव मन के भाव बने
तप, त्याग , बलिदान उत्सर्ग सहज भाव बने
करूणा और सर्मपण तेरी पतवार बने
सेवा , भव मंगल नैसर्गिक सु- प्रभार बने”